द गर्ल इन रूम 105
'तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि तुम मेरी बेटी के मर्डर केस की तहकीकात कर सकते हो?" सफ़दर की आवाज गूंजी। संडे सुबह सौरभ और मैं उनसे मिलने गए थे। मैंने उन्हें पूरी कहानी सुना दी थी कि लक्ष्मण और सक्सेना दोनों ने ही जारा को नहीं मारा है।
"जारा के पीएचडी गाइड के बारे में से तमाम बकवास। तुम्हें क्या ज़रूरत आन पड़ी थी ये जासूसी करने
की?' 'अकल, क्या आपको यह सुनकर शॉक नहीं लगा कि उसका गाइड उसे हैरेस करता था? आपको गुस्सा नहीं आ रहा है?"
"मुझे तुम पर गुस्सा आ रहा है। मरने के बाद भी तुम मेरी बेटी का पिंड छोड़ने को तैयार नहीं हो।" मैं बस यह जानना चाहता हूं कि उसे किसने मारा।'
"तुम होते कौन हो यह जानने वाले? पुलिस? उसकी फैमिली? कौन?'
मैं चुप रहा।
“तुम्हारे और ज़ारा के बीच कोई रिश्ता नहीं था, सफ़दर ने दांत पीसते हुए कहा 'अभी मेरे घर और मेरी मरी हुई बेटी की जिंदगी से दफा हो जाओ।'
सफ़दर उठ खड़े हुए। इसका यह मतलब था कि अब हमें चलना चाहिए। “अंकल, इतना नाराज़ मत होइए, इससे चीजें और बिगड़ेंगी ही, सौरभ ने सधी हुई आवाज़ में कहा। "चीजें और बिगड़ेंगी?' सफ़दर ने कहा 'मैंने अपनी बेटी को खो दिया है, इससे बदतर अब और क्या
"इससे बदतर यह होगा, अंकल कि लोग इस मामले में ऑनर किलिंग का एंगल ढूंढने की कोशिश करेंगे,
होगा?'
सौरभ ने सपाट ढंग से कहा। मुझे यह देखकर बहुत क्यूट लगा कि वह सीधे तौर पर उन्हें एक हत्यारा बताने के
बावजूद उन्हें अंकल कहकर इज्जत दे रहा था। "क्या?" सफ़दर ने कहा 'तुम्हारा दिमाग़ तो ख़राब नहीं है?" “ये मेरा नबसे अच्छा दोस्त है और इसका दिमाग एकदम दुरुस्त है। प्लीज़ बैठ जाइए,' मैंने कहा।
सौरभ मुस्करा दिया। सफ़दर फिर बैठ गए। 'अंकल, आपने ज़ारा का पोस्टमार्टम कराने से इनकार क्यों किया था? मैंने कहा। "क्या? तो क्या मैं उन हरामियों को अपनी बेटी की लाश को काटने-पीटने देता? तुम्हें पता भी है
पोस्टमार्टम में क्या-क्या होता है?" पोस्टमार्टम में यह होता है कि जो हुआ है, उसका पता लगाया जाए, मैंने कहा
'उन्हें क्या पता लगाना है? ख़बरों के लिए और मसाला सौरभ और मैं चुप रहे।
"तुम लोगों ने देखा था कि जब मेरी बेटी की मौत हुई तो कैसे ये न्यूज़ चैनल मक्खियों की तरह उसकी लाश पर भिनभिनाने लगे थे? किसी को जारा या उसकी फैमिली की फ़ीलिंग्स की फिक्र नहीं थी। अब तुम क्या चाहते हो? यह कि लोग इस बारे में डिस्कस करें कि उसका रेप किया गया था या नहीं?"
"उसका रेप नहीं किया गया था, मैंने कहा 'ऐसा कुछ नहीं हुआ था। मैंने ही सबसे पहले उसकी लाश को देखा था।' 'लेकिन अगर किसी पागल टीवी एंकर ने मनगढ़ंत बात बना ली तो तुम्हें पता है, ऐसे हालात में एक
परिवार पर क्या बीतती है?"
मुझे कहना होगा कि अगर सफ़दर कुछ छुपा रहे थे, तो वो यह बहुत ही बेहतरीन तरीके से कर रहे थे।
“अंकल, मैं केवल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि यह सवाल देर-सवेर उठेंगे ही। वैसे उस रात को आप कहां पर
थे? मैंने कहा। सफ़दर ने मेरी तरफ देखा और कुछ देर बाद बोले, 'मैं घर पर था और उसकी बर्थडे पार्टी की तैयारी कर
रहा था।' "क्या इस बात के कोई गवाह हैं?"